पूराणों के अनुसार दक्ष राजा ने अपने जवाई भगवान शिव का अपमान करने के लिए एक यज्ञ का आयोजन किया जिसमे शिवजी के अलावा सभी देवी देवताओ को बुलाया गया | यह बात शिवजी की पत्नी माँ सती को सही नहीं लगी और वे उसी हवन कुंड में सती हो गयी | भगवान शिव को जब यह पता चला तो वे बहूत क्रोधित हुए और जले हुए सती के शरीर को लेकर इधर उधर भटकने लगे | क्रोध में उनकी तीसरी आँख भी खुल गयी जिससे सारे संसार में प्रलह आ गयी | भगवान श्री विष्णु ने तब अपने सुदर्शन चक्र से माँ के सती को छिन भिन किया और उनके शरीर के अंग और आभुषण जगह जगह गिरे | ये स्थान अलग अलग धर्म ग्रंथो में अलग अलग है | हम इन जगहो को देवी पुराण के अनुसार 51 मानते है जो माँ सती के शक्ति पीठ कहलाये | ये अत्यंय पावन तीर्थ स्थान है जिनके दर्शन मात्र से कल्याण होता है ।